Monday, August 1, 2011

पंकज उधास ने किया संस्कृति संगम का लोकार्पण



बायें से दायें शचीन्द्र त्रिपाठी (संपादक, नवभारत टाइम्स), सामाजिक कार्यकर्ता रानी पोद्दार, गायक पंकज उधास, संगीत-निर्देशक आनंदजी शाह (कल्याण जी आनंद जी), संपादक देवमणि पाण्डेय, सुरेन्द्र गाडिया और नवभारत टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार भुवेन्द्र त्यागी .

 गायक पंकज उधास ने किया संस्कृति संगम का लोकार्पण
मुम्बई महानगर में दो ही जहान सक्रिय हैं बॉलीवुड और क्रिकेट । इससे आगे भी कोई जहान है इस बारे में कोई सोचता ही नहीं । देवमणि पाण्डेय ने साहित्यकारों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, सुगम-शास्त्रीय गायकों आदि के ज़रिए एक और जहान को प्रस्तुत करके साबित कर दिया है कि सितारों से आगे जहां और भी हैं । ये विचार जाने माने ग़ज़ल गायक पंकज उधास ने कवि देवमणि पाण्डेय द्वारा सम्पादित मुम्बई की सांस्कृतिक निर्देशिका 'संस्कृति संगम' के चौथे संस्करण के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किए । उन्होंने इसे एक अतुलनीय प्रयास बताया। शनिवार 14 मार्च 2009 को चर्चगेट के होटल सम्राट में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता मशहूर संगीतकार आनंदजी शाह (कल्याणजी आनंदजी) ने की।
मुम्बई के सांस्कृतिक आकाश की तारिका रानी पोद्दार ने लेखकों,पत्रकारों और कलाकारों को जोड़ने वाली इस ख़ूबसूरत कड़ी की तारीफ़ करते हुए कहा कि 'संस्कृति संगम' महानगर के सांस्कृतिक आयोजनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी । नवभारत टाइम्स के स्थानीय सम्पादक शचीन्द्र त्रिपाठी ने 'संस्कृति संगम' के सम्पादक देवमणि पाण्डेय के सतत श्रम की सराहना करते हुए कहा कि वे जो ठान लेते हैं उसे करके ही थमते हैं । उन्होंने हर संस्करण को पहले से और बेहतर बनाया है। इस संदर्भ में त्रिपाठीजी ने देवमणिजी का ही एक शेर उध्दरित किया
आदमी पूरा हुआ तो देवता हो जाएगा
ये ज़रूरी है कि उसमें कुछ कमी बाक़ी रहे

हिन्दी सिनेमा में चार दशकों तक छाई रही संगीतकार जोड़ी कल्यानजी आनंदजी के आनंदजी शाह ने अपने रोचक अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि देवमणि पाण्डेय ने अपने इस प्रयास के ज़रिए मुम्बई महानगर के अलग अलग कोनों में मौजूद विभिन्न विधाओं के लोगों को न केवल एक साथ ला खड़ा किया है बल्कि उनकी यह पहल अनगिनत सांकृतिक आयोजनों के लिए वरदान साबित होगी ।
आभार व्यक्त करते हुए संपादक देवमणि पाण्डेय ने कहा कि  मुम्बई के डॉ.सत्यदेव त्रिपाठी हों या डॉ.बोधिसत्व अथवा यूके के तेजेंद्र शर्मा हों या यूएसए की डॉ.सुधा ओम ढींगरा, सभी मित्रों ने दिल खोलकर मेरी सहायता की । मित्रों की सहायता और मेरा अपना परिश्रम 'संस्कृति संगम' के रूप में साकार हुआ । समाजसेवी सुरेन्द्र गाड़िया ने अतिथियों और पुस्तक के सज्जाकार शिव आर. पाण्डेय का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया ।
नवभारत टाइम्स मुम्बई के मुख्य उपसम्पादक भुवेन्द्र त्यागी ने समारोह का संचालन किया । उन्होंने 'संस्कृति संगम' को गंगा-यमुना-सरस्वती का अदभुत संगम बताया । त्यागीजी ने कहा कि इसमें भारतीय दर्शन के संगम की तीनों नदियां नज़र आती हैं । संस्कृतिकर्मियों के रूप में गंगाजी मौजूद हैं तो 50 गीतों और 200 शेरों के रूप में यमुनाजी उपस्थित हैं। संगम की तीसरी नदी सरस्वती एक अंतर्धारा की तरह पुस्तक की सुरुचि के रूप में मौजूद हैं । वह सुरुचि है पुस्तक की सादा लेकिन आकर्षक डिजाइन ।
समारोह में रचनाकार जगत से वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल, मनहर चौहान, डॉ.सुशीला गुप्ता, डॉ.राजम पिल्लै,डॉ.रत्ना झा, डॉ.बोधिसत्व, डॉ.दिनेशचंद्र थपलियाल, पुनीत पाण्डेय, शशांक दुबे, हरि मृदुल, शैलेश सिंह,खन्ना मुजफ्फरपुरी, केशव राय, संगीतकार आमोद भट्ट और उद्योगपति कैलाश पोदार उपस्थित थे ।
मुम्बई की सांस्कृतिक निर्देशिका 'संस्कृति संगम' के चौथे संस्करण में हिन्दी रचनाकारों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, फ़िल्म लेखकों, गायक कलाकारों, गीतकारों-शायरों, समाचार पत्र- पत्रिकाओं, साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ ही अखिल भारतीय प्रमुख साहित्यकारों, मंच पर सक्रिय अखिल भारतीय प्रमुख कवियों एवं विदेशों में बसे प्रमुख हिन्दी रचनाकारों के नाम, पते, दूरभाष नं. एवं ईमेल शामिल हैं । 'संस्कृति संगम' के संपादक देवमणि पांडेय इस बार इस निर्देशिका में प्रमुख बैंकों और प्रमुख सरकारी उपक्रमों के राजभाषा अधिकारियों के साथ ही मुम्बई के प्रमुख कॉलेज और उनके विभागाध्यक्षों का विवरण भी उपलब्ध है ।

 'संस्कृति संगम' ने साहित्य, संगीत, पत्रकारिता, रंगमंच, आदि क्षेत्रों में सक्रिय रचनाकर्मियों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विदेशों में बसे हिन्दी रचनाकारों के बीच भी 'संस्कृति संगम' काफी लोकप्रिय है | इस तरह साहित्य, संगीत, मंच आदि से जुड़ी प्रतिभाओं को 'संस्कृति संगम' के ज़रिए अपने-अपने क्षेत्र की विशिष्ट हस्तियों से जुड़ने का सम्पर्क सूत्र सहज उपलब्ध हो जाता है। विविधतापूर्ण सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भी 'संस्कृति संगम' बेहद उपयोगी है। मुम्बई की सांस्कृतिक सक्रियता को बढ़ावा देने में 'संस्कृति संगम' का उल्लेखनीय योगदान है.