एक समारोह में गायिका रश्मिश्री, गायक जगजीत
सिंह और शायर देवमणि पांडेय (मुम्बई 9 सितम्बर 2011)
ये आरज़ू थी तेरी निगाहों में मैं रहूँ
लेकिन मैं तेरी आँख का काजल नहीं हुआ
जिसकी तस्वीर हो गया हूँ मैं
वो
अगर ज़िंदगी में आए तो
हम
जाने कहाँ कैसे किस मोड़ पे खो जाएं
मेरा
भी पता लेना, अपना भी पता देना
इस जहाँ में प्यार महके ज़िंदगी बाक़ी रहे
ये दुआ माँगो दिलों में रौशनी बाक़ी
रहे
दिल में मेरे पल रही है यह तमन्ना आज
भी
इक समंदर पी चुकूँ और तिश्नगी बाक़ी
रहे
ये दिल से
निकली ग़ज़लें हैं और अपने इकहरेपन के बावजूद भी पाठक के दिल को फ़ौरन छू लेती हैं।
मुझको यक़ीन है कि 'अपना तो मिले कोई' की ग़ज़लें
कविता प्रेमी पाठकों के बीच अच्छी लोकप्रियता अर्जित करेंगी करेंगी और इस संग्रह के
बाद पांडेय जी को ज़रूर कोई अपना मिल जाए, ऐसी कामना है ।
कवर पेज़, गेटअप, काग़ज़, छपाई और ग़ज़लें इन सभी लिहाज़ से ऐसे दर्शनीय एवं पठनीय संग्रह के लिए
देवमणि पांडेय जी को हार्दिक अभिनंदन।
सम्पर्क : सूर्यभानु गुप्त, 2, मनकू मेंशन, सदानन्द मोहन जाधव मार्ग, दादर ( पूर्व ), मुम्बई- 400014
दूरभाष : 090227-42711 / 022-2413-7570
अपना तो मिले कोई : ग़ज़ल संग्रह, शायर : देवमणि
पाण्डेय, क़ीमत : 150 रूपए
प्रकाशक : अमृत प्रकाशन, 1/5170, बलबीर, गली नं.8, शाहदरा, दिल्ली-110032,
फोन : 099680-60733 / 011-2232 5468
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bhai yash malviya aur aadarneeya surya bhanu gupt ji ki sameekshayein padh kar kitab dekhne ki utkantha jaagrit ho gai hai
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