Thursday, May 3, 2012

अपना तो मिले कोई : समीक्षा - सूर्यभानु गुप्त



अपना तो मिले कोई : समीक्षा - सूर्यभानु गुप्त
इश्क़ ने हमको सौग़ात में क्या दिया !

देवमणि पांडेय के ताज़ा ग़ज़ल संग्रह 'अपना तो मिले कोई' की ग़ज़लों से गुज़रते हुए मेरी काव्य चेतना के बैक ग्राउंड में महाकवि डॉ.मुहम्मद इक़बाल का यह शेर निरंतर विद्यमान रहा---

अच्छा है दिल के पास रहे पासबाने अक़्ल
लेकिन कभी-कभी उसे तनहा भी छोड़ दे

लेकिन पांडेय जी ने अपनी ग़ज़लगोई के दौरान पासबाने-अक़्ल की पहरेदारी से हज़रते-दिल को कभी-कभी के बजाय इतना ज़्यादा मुक्त रखा कि नतीजे के तौर पर जो ग़ज़लें सामने आईं वे अपने आप में इतनी सहज, सरल और सुगम हैं कि हिंदी के मौजूदा दौरे की तथाकथित मुख्यधारा की छंदहीन, लयहीन, रसहीन और एक सरीखी लगने वाली दुर्बोध तथा बूझो तो जानें मार्का कविताओं से बुरी तरह ऊबे हुए कविता के आम पाठकों के दिल में तुरंत उतर जाने का माद्दा रखती हैं। पेश हैं इस संग्रह से कुछ अशआर-

ऐसा नहीं कि कोई भी अपना नहीं मिला
हम जिसको ढूँढ़ते थे वो चेहरा नहीं मिला

इश्क़ ने हमको सौग़ात में क्या दिया 
ज़ख़्म ऐसे कि जिनकी दवा कुछ नहीं

जब तलक रतजगा नहीं चलता
इश्क़ क्या है पता नहीं चलता

उस तरफ़ चल के तुम कभी देखो
जिस तरफ़ रास्ता नहीं चलता

ये प्यार वो जज़्बा है तासीर अजब जिसकी
मिलता है मज़ा इसमें घर-बार लुटाने से

भले मिल जाए दौलत और शोहरत हमको दुनिया में
मगर दिल को मुहब्बत की कमी अच्छी नहीं  लगती

एक समारोह में गायिका रश्मिश्री, गायक जगजीत सिंह और शायर देवमणि पांडेय (मुम्बई 9 सितम्बर 2011)

 ये आरज़ू थी तेरी निगाहों में मैं रहूँ
लेकिन मैं तेरी आँख का काजल नहीं हुआ

 जिसकी तस्वीर हो गया हूँ मैं
वो अगर ज़िंदगी में आए तो

हम जाने कहाँ कैसे किस मोड़ पे खो जाएं
मेरा भी पता लेना, अपना भी पता देना

इस जहाँ में प्यार महके ज़िंदगी बाक़ी रहे
ये दुआ माँगो दिलों में रौशनी बाक़ी रहे

दिल में मेरे पल रही है यह तमन्ना आज भी
इक समंदर पी चुकूँ और तिश्नगी बाक़ी रहे

ये दिल से निकली ग़ज़लें हैं और अपने इकहरेपन के बावजूद भी पाठक के दिल को फ़ौरन छू लेती हैं। मुझको यक़ीन है कि 'अपना तो मिले कोई' की ग़ज़लें कविता प्रेमी पाठकों के बीच अच्छी लोकप्रियता अर्जित करेंगी करेंगी और इस संग्रह के बाद पांडेय जी को ज़रूर कोई अपना मिल जाए, ऐसी कामना है । कवर पेज़, गेटअप, काग़ज़, छपाई और ग़ज़लें इन सभी लिहाज़ से ऐसे दर्शनीय एवं पठनीय संग्रह के लिए देवमणि पांडेय जी को हार्दिक अभिनंदन।

 सम्पर्क : सूर्यभानु गुप्त, 2, मनकू मेंशन, सदानन्द मोहन जाधव मार्ग, दादर ( पूर्व ), मुम्बई- 400014
दूरभाष : 090227-42711 /  022-2413-7570

अपना तो मिले कोई : ग़ज़ल संग्रह, शायर : देवमणि पाण्डेय, क़ीमत : 150 रूपए

प्रकाशक : अमृत प्रकाशन, 1/5170, बलबीर, गली नं.8, शाहदरा, दिल्ली-110032,
फोन : 099680-60733 / 011-2232 5468


1 comment:

  1. bhai yash malviya aur aadarneeya surya bhanu gupt ji ki sameekshayein padh kar kitab dekhne ki utkantha jaagrit ho gai hai

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